बाल अधिकार-मधु कुमारी

बाल अधिकार

छोटे-छोटे, नन्हें-नन्हें
प्यारे-प्यारे दिल के सच्चे बच्चे
करते अपने सपने साकार
कोमल-कोमल, कोंपल जैसे
भोले भाले दे दो इनको
इनका हीं “बाल अधिकार” ।

खेलो-कूदो धूम मचाओ
करो नित नई शैतानी
सुनते नहीं कभी किसी की
बस करते रहते हो मनमानी
नित करो बच्चों तुम यूं हीं विकास
ये भी एक है तुम्हारा अधिकार ।

पढ़ना-लिखना
खूब आगे बढ़ना
हर क्षेत्र में अपनी सहभागिता दिखाना
है तुम्हारा आधारिक अधिकार
“बाल मजदूर” बन
नित काम करना
आज के प्रगतिशील भारत के बच्चों को
अब नहीं है स्वीकार।

रोक टोक न माने ये
आसमाँ को छूने की
हरपल मन में ठाने ये
बन्धन में बंधकर रहना
है नहीं इनको स्वीकार
करते सदैव ये अपनी आजादी से प्यार।

भेदभाव को मन से मिटाना
सबको एक समान मान
प्यार से तुम गले लगाना
देखो, कलम को तुम बनाना हथियार
शिक्षा के स्वरूप को तुम करना साकार।

देश के उज्ज्वल भविष्य की
तुम हो एकमात्र धरोहर
बाल मजदूरी पर लगे विराम
यही अब नए भारत की बने पहचान।

बाल अधिकार हीं अब धूरी है
क्योंकि बच्चों का विकास संग
बालिकाओं का संरक्षण भी
अब भारत के लिए जरूरी है।

मधु कुमारी
कटिहार 

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