ऋतुराज वसंत-लवली वर्मा

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ऋतुराज वसंत

छह ऋतुओं में एक है,
विशेषता जिसकी अनेक है।
जिसमें होता सुखद अनुभव,
ऋतुराज वसंत है वह।

पुष्पित होते बाग-बगीचे,
झूला झूलें वटवृक्ष नीचे।
रागरंग होता है चहुं ओर,
कोयल कूके जब होती भोर।

चारों ओर होती हरियाली,
चमके सरसों पीली-पीली।
वसंत पंचमी होता पावन,
माँ शारदे का करते वंदन।

मौसम होता अति आनंदित,
अंतर्मन को करता पुलकित।
सौंदर्य बिखेरता है वसंत,
खुशियों का न होता अंत।

वसंत में होली पर्व मनाते,
द्वेष घृणा को दूर भगाते।
संचारित होता सुखद अनुभव,
मन से मिटते सारे दुर्भाव।

लवली वर्मा
प्राथमिक विद्यालय छोटकी रटनी
हसनगंज, कटिहार

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