कर्म ही पूजा हैै-नूतन कुमारी

कर्म ही पूजा है

स्नेह सरसता है जीवन,
वात्सल्य भरा हमसब का मन,
पारिज़ात पुष्प बन कर महको,
फकत प्रेम से सींचो हर क्षण।

शुभ मंतव्य रखो मन में,
सच्ची श्रद्धा से सद्कर्म करो,
सर्वथा कर्म ही है पूजा
धीरज साधो बस कर्म करो।

देना हो चाहे कठिन परीक्षा,
सत्य का डोर थामे रखना,
चुनौतियों की कतार लगी हो,
सदैव शुभ कर्म करते रहना।

अपने कर्मों को जो पहचाने,
वह मानव जग में उत्तम है,
कर्मफल मिलता है निश्चित,
यह शाश्वत अटल सत्य है।

जैसा बोओगे वैसा पाओगे,
यह बात समझ आगे बढ़ना,
उज्ज्वल भविष्य को लक्ष्य मान,
सफलता का स्तंभ गढ़ना।

स्वरचित व मौलिक
नूतन कुमारी (शिक्षिका)
डगरुआ, पूर्णियाँ
बिहार

Leave a Reply