सांसों के लिए संघर्ष-एस. के. पूनम

Shailesh

सांसों के लिए संघर्ष

मानव ज्ञान की उस सीमा को छू लिया,
भौतिक सुखों के हर आयामों को पा लिया,
पर प्रतीत होता है कि अभी भी कुछ शेष है,
संघर्ष की यात्राओं का पड़ाव अभी दूर है।
विज्ञान का असीमित बिसात का घेरा है,
पर आज जीवन का डोर उलझता जा रहा है,
इंसान पल-पल सांसों के लिए संघर्षरत है,
विवश है जिन्दगी, तम का सघन पहरा है।
विश्व का ऐसा कोई भूखंड नहीं है,
जहाँ सांसों के लिए संघर्ष नहीं है,
करुणा से भरी क्रंदन का शोर है,
हर तरफ हृदय विदारक मंजर है।
इंसान सांसों के लिए जदोजहद कर रहा है,
एक मसीहा के आने के इंतजार में,
हर पल, हर राह को, हर मोड़ को निहारता है,
गगन निहारता है याचना भरी दृष्टि से।
सांसों के इस दारूण संघर्ष यात्रा में,
किसे मिलेगी सांसों की अमृत डोर,
किसकी जीवन की कट जाएगी डोर,
कहन मुश्किल है, सांसों के इस संघर्ष में।

एस. के. पूनम

फुलवारी शरीफ, पटना

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