जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई-मंजू रावत

Manju

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जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई

जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई,
स्वतंत्र रूप से उड़ने वाले, चारों ओर घूमने वाले,
घरों में कैद होकर रह गए,
जिंदगी अब ऑनलाइन बन कर रह गई।
शॉपिंग, बैंकिंग, स्कूलिंग, मार्केटिंग सब ऑनलाइन हो गई, सब कुछ होम डिलीवरी और डाउनलोड बनकर रह गए,

जिंदगी अब ऑनलाइन बन कर रह गई।
बचपन खोया, युवा खोया, खोया आज बुढापा है सब ऑनलाइन हो गए घर में छाया सन्नाटा है,
रिश्ते-नाते, शादी-समारोह, लेन-देन, मेल-मिलाप सब ऑनलाइन हो रहा, बस बात करने की प्रथा व्हाट्सएप, फेसबुक निभा रहे।

जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई।
बाज़ार सूना, रास्ते सूने, सूना है, सब घर-बार, स्कूल सूना, मैदान सूना, सूना है सब दरबार,
सब ऑनलाइन चल रहा है,

रुकी हुई जिंदगी की रफ्तार,
जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई,

जिंदगी अब ऑनलाइन बन कर रह गई।

मंजू रावत

 शिक्षिका सिवान

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