देश उनको नमन करेगा-मनु कुमारी

Manu

Manu

देश उनको नमन करेगा 

भारत माँ का अनोखा लाल,
अद्भुत और अनुपम थे जिसके भाल।
स्वतंत्रता संग्राम के थे महानायक,
साहस शौर्य के थे वह परिचायक।

युवाओं के वह थे प्रेरणास्रोत,
राष्ट्रभक्ति की भावना से स्वंय थे ओतप्रोत।
23 जनवरी 1897 का वह दिन था पावन,
मौसम भी था कितना मनभावन।

पिता जानकी नाथ बोस और माँ प्रभावती की नवीं संतान,
जो सुभाषचंद्र बोस नाम से बने महान।
देशी प्रेमी, स्वाभिमानी सुभाषचंद्र,
अँग्रेज शासन के थे कट्टर विरोधी।
जहाँ अँग्रेजों के प्रति तीव्र घृणा थी
वहीं देशवासियों के प्रति प्रेम भरी थी।

“किसी राष्ट्र के लिए स्वाधीनता सर्वोपरि” है मूलमंत्र लेकर,
बच्चों, नवयुवकों, तरूणों की सोई आत्मा को जगाया।
“तुम मुझे खुन दो, मैं दूंगा तुझे आजादी” का नारा देकर,
आजादी को “जीवन मरण” का प्रश्न बनाया।

“जय हिंद” के नारे से युवाओं में नवीन चेतना भरकर,
अपने बल, पराक्रम से अँग्रेजों का छक्का छुड़ाया। 
केवल राष्ट्रीय बंधन से मुक्ति हीं आजादी नहीं,
आथिर्क समानता, जातिभेद, सांप्रदायिक संकीर्णता को त्यागने का मंत्र दिया।

भारत माँ के वह थे सच्चे हीरो
उनके हिम्मत के आगे फिरंगी थे जीरो।
साम, दाम, दंड, भेद, हर गुण से थे परिपूर्ण,
थर-थर कांपे थे उनके सामने ब्रिटिश संपूर्ण।

पहली प्राथमिकता “आजादी” हो,
ये थी उनकी आत्मिक पुकार।
राजनैतिक दल भी किये, उनपर क्रूर प्रहार।
उगते सूर्य की भाँति सदैव उनका नाम रहेगा,
जब भी होगी आजादी की बात,
देश उनको नमन करेगा।

स्वरचित एवं मौलिक:-
मनु कुमारी
मध्य विद्यालय सुरी गाँव
पूर्णियाँ, बिहार

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