मधुमख्खी का डंक-रीना कुमारी

मधुमख्खी का डंक

ओ मधुमख्खी रानी, ओ मधुमख्खी रानी।
तुने खुब बनाई अपनी कहानी।।
एक गाँव की सुनो कहानी, ना कोई राजा न कोई रानी।
एक परिवार में दो बच्चे थे
नाम था दिलखुश और
नुरानी।
एकदिन घर के पिछवाड़े में खेल रहे थे डेंगा पानी।
घर के पिछवाड़े पेड़ लगे थे पेड़ो पर डाली छत्ते मधुमख्खी रानी।
खेलते कुदते उनदोनों की नजर पड़ी मधुमख्खी रानी।।

सोचा बच्चों ने ये क्या है एक दूजे से पूछा कभी न हमने इसको जानी।
सोचा न समझा उनदोनों ने क्योंकि बच्चे न थे अभी ज्ञाणी।।

कंकड़ फेका छत्ते पर तेरे, फिर तुने कैसी चाल दिखाई।
ओ मधुमख्खी रानी—–
तुने खुब—-
ओ मघुमख्खी रानी——

तुमने याद कराई बच्चों को अपनी नानी।
ऐसा करके तूने सबको कर दी हैरानी
ओ मधुमख्खी रानी।
ये तो सीधे की तुमने बेईमानी। ।
नादान बच्चे की तूने न माफ की पहली छेड़खानी।

ओ मधुमख्खी रानी—–

बच्चे तो मासुम होते है तूने
कहाँ ये जानी।
यदि बच्चे होते समझदार तो क्या करते ऐसी नादानी।

ओ मधुमख्खी रानी ……..

माँ को बिन बच्चों का बनाया लाश बिछाया उसके पाणी।
बहन को बिन भाई के बनाया, ऐसी तेरी मनमानी।।

ओ मधुमख्खी रानी …….
.
सुना था फलो के रस चूसती हो तुम मधुमख्खी रानी ।
आज मासुमों की खुन पी ली ऐसे में कोई कैसे कहे रानी।।

ओ मधुमख्खी रानी .. …….

.
खुन भी पीती तो बात अलग थी समझते कम हुई है हानी ।

जान जो ले ली इन बच्चों की
ये तो हुई तेरी बिलकुल शैतानी।।

ओ मधुमख्खी रानी……
ओ मधुमख्खी रानी।

रीना कुमारी
प्रा० वि० सिमलवाड़ी पश्चिम टोला
बायसी, पूर्णियाँ, बिहार

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