रक्षाबंधन-रीना कुमारी

रक्षाबंधन

देखो रक्षाबंधन आया।
देखो रक्षाबंधन आया।।
राखी वाले ने शोर मचाया।
राखी ले लो राखी ले लो,
सब घर के दरवाजे खटखटाया ।

देखो रक्षाबंधन आया,
देखो रक्षाबंधन आया।

रूपा और पूजा ने राखी वाले को बैठाया।
अच्छी राखी दे दो चाचा दोनों ने पसंद बताया।।
राखी वाले ने राखी दिखाई अपनी पसंद की राखी दोनों को भाया।
पैसे ले लो चाचा दोनों ने माँ से पैसे दिलवाया।

देखो रक्षाबंघन आया।
देखो रक्षाबंधन आया।

शुबह सबेरे कर ली स्नान ध्यान और पूजा पाठ।
दोनों के दिख रहे थे कुछ ऐसे ठाठ।।
आयेंगे भैया बँधवाने राखी, देख रही थी भैया के बाट।।
इतने में ही दरवाजे पर भैया ने घंटी बजाया।

देखो रक्षाबंधन आया,
देखो रक्षाबंधन आया।

भैया आये भैया आये,
खुशी से दोनों ने चिल्लाया।
लड्डू पेड़े और उपहार भैया संग में लाया ।
दोनों बहनों से माथे पर तिलक और कलाई पर राखी बँधवाया।
बहनों ने अपनी रक्षा का भार भैया से थमाया ।

देखो रक्षाबंधन आया।
देखो रक्षाबंधन आया।।

रीना कुमारी
प्रा० वि० सिमलवाड़ी पशिचम टोला
बायसी, पूर्णियाँ, बिहार

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