अधिकार-डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा

Dr. Anupama

Dr. Anupama

          अधिकार                    

पंख दिये हैं मुझको “रब” ने
“अधिकार” मुझे है उड़ने का,
नहीं गगन में सीमा कोई
कौन! भला मुझे रोकेगा।

मैं “नदियाँ” की हूँ एक धारा
है हिम्मत राह बनाने का,
जब चाहूँ मैं जहाँ से निकलूं
कौन! भला मुझे टोकेगा।

मैं “झोका” हूँ मुक्त पवन का
बंदिश नहीं कहीं जाने का
चाहे चलूँ मैं किसी दिशा में
कौन! भला मुझे टोकेगा।

 मैं “वसुधा” सबकी माँ जैसी
क्षमता है बोझ उठाने का,
जनम-जनम का नाता सबसे
कैसे! भला वह टूटेगा।

“कली” हूँ मैं अपने गुलशन की
‘अधिकार’ मुझे है खिलने का,
फैलाऊँ अपने खुशबू को
कौन! भला मुझे रोकेगा।

स्वरचित
डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा🙏🙏
मुजफ्फरपुर, बिहार

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