संग्राम क्यों होते रहे, संघर्ष है विचारों की, अहंभाव समाहित,मन करे परेशान। केवल मानव नहीं, प्रकृति के कण-कण, द्वंदवाद से ग्रसित,यह देख हूँ हैरान। स्वर्ण युग की लालसा, लुप्त हुआ…
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Through Padyapankaj, Teachers Of Bihar give you the chance to read and understand the poems and padya of Hindi literature. In addition, you can appreciate different tastes of poetry, including veer, Prem, Raudra, Karuna, etc.
धान की बुआई – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मिलके लुगाई संग धान की बुवाई करें, फसल उगाने हेतु किसान लगाता जोर। हल उठा काँधे पर खेतों की जुताई हेतु, चल देता बैलों संग देखो जब होता भोर। रात…
बाल कविता – एस.के.पूनम
बाल मन कहाँ रुके, कहीं नहीं वह झुके, खेल खेले मस्त-मस्त,होए न पस्त कभी। नदी तीर रोज जाते, बालू से घरौंदा बने, महल हो सपनों का,नहीं सोचते अभी। सुबह को…
बेबस इंसान – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
रूप घनाक्षरी छंद पानी हेतु किसानों की नजरें तरस रहीं, धूल उड़े सावन में देख रहे आसमान। नमी बिना खेतों में ही बिचड़े झुलस गए, सीने बीच किसानों के दब…
मनहरण – एस.के.पूनम
पहले भी छोड़ा यान, पहुँचा चँद्रमा पर, भटका था वह राह,गुमनामी में खोया। भारत की गरिमा का, इतिहास है पुराना, अनगढ़ अविष्कार कहने पर रोया। राष्ट्रवाद का अगन अभियान बन…
बरखा बहार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
बरखा बहार आई मन में उमंग छाई, मोती जैसे आसमान झमाझम बरसे। नई – नई दूब उगी, फसल की आस जगी, मजदूर किसानों के देख मन हरसे। छोटे बच्चे आंगन…
प्रकृति के आगे लाचार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
छंद -रूप घनाक्षरी अचानक मौसम ने बदला है करवट, आज सारे जीव जंतु गर्मी से गए हैं हार। पसीने से नर-नारी हाल से बेहाल हुए, कर-कर थक गए बरखा के…
दोहा – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
दीप जलाकर ज्ञान का, करिए गुरु का गान। चरण शरण रहकर सदा, तजिए निज अभिमान।। गुरुवर प्रतिदिन शिष्य को, देते नैतिक ज्ञान। मन वचनों से कर्म से, करें नित्य सम्मान।।…
फूल – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
लगते कितने पुष्प अभिराम गहरा चिंतन कर लो मानव। फूलों-सा नित बनिए ललाम करो नष्ट मत बनकर दानव।। फूल प्रकृति का अनुपम उपहार गुण सुरभित पा हंँसते रहिए। करिए जीवन…
श्रावण- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
शुचि मन-भावन श्रावण आया आगत को लख हों पुलकित मन। अम्बर बादल चहुँदिशि छाया। दृश्य मनोहर बरसा-सावन।। कृषक मुदित मन गीत सुनाते रिम-झिम बूँदें हैं हर्षाती। सुमन विटप मन को…