हिंदी – स्नेहलता द्विवेदी

हिंदी ! सहज सृजन की कुंजी, भावगम्य मनमोहक पूंजी। सुरम्य गीत संगीत सुधारस तृप्ति, कथा पटकथा चलचित्र समग्र सृष्टि। हिंदी! स्वर व्यंजन वर्ण , शब्द विन्यास बहुरंग। सरल सुलेख्य सुपाठ्य,…

भारत की बिन्दी-विनय विश्वा

मैं हिन्दी हूं जननी जन्मभूमि मातृभाषा हूं खड़ी बोली खड़ी होकर मर्यादित,अविचल‌ आधार हूं मैं भारत की श्रृंगार हूं। इतिहास से लेकर अब तक मैं सिंध से हिन्द, हिन्दी कहलाई…

देश है एक-दीपा वर्मा

देश है एक, भाषाएँ अनेक। जिसमें हिंदी है एक, मातृ भाषा कहलाती है। देश प्रेम दर्शाती है, अभिव्यक्ति का मुख्य साधन है, भाषाओं की जननी है। मन की बात तुरंत…

हिंदी हमारी है-धीरज कुमार

हिंदी हमारी है। हिंदी हमारी भाषा है,हिंदी से प्यार करना हमे आता है। हिंदी भारत माता की बिंदी,हिंदी से अपना पुराना नाता है। बिन बिंदी स्त्री का चेहरा सुना,बिंदी से…