मनहरण घनाक्षरी- रामपाल प्रसाद सिंह

Pramod

आज बच्चों में उल्लास,

छुट्टी मिली है जो खास,

चकचक ताजिया है,

भरे जो विश्वास से।

हिंदुओं का गाॅंव प्यारा,

घर एक दो दुलारा,

उनके त्योहार में ये,

भरे प्रेम साॅंस से।

चमचम चमके हैं,

बालवृंद चहके हैं,

प्रार्थनाऍं हो रही हैं,

इंद्र को प्रकाश से।

इंद्र ने कहा ये बच्चे,

तुम बड़े भोले सच्चे,

खेलो खाओ दिल भरो,

मधुर मिठास से।

रामपाल प्रसाद सिंह’अनजान’

मध्य विद्यालय दरवेभदौर

अंचल-पंडारक,बिहार

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