प्रभु-लवली वर्मा

  प्रभु तुम हो, तुम्हीं हो प्रभु मेरे पालनहार। आशिष तुम्हारी पाकर, सपना किया साकार। विचलित होती थी जब, करती तेरी आराधना। तेरी छवि को देखकर पूरी होती मेरी प्रार्थना।…

ऐसा परिवार-लवली वर्मा

ऐसा  परिवार  खुशियां भरी हो आँगन में, जहां हर सपना साकार हो। द्वेष-घृणा का स्थान नहीं, ऐसा अपना परिवार हो।। प्रेम भाव हो हृदय में, एक दूजे का साथ हो।…

रुमाल-लवली वर्मा

रुमाल एक चीज़ बड़ी कमाल, नाम इसका है रुमाल। कपड़े का टुकड़ा चौकोर, जेब-पर्स में रखते लोग। उद्देश्य एक व्यक्तिगत सफाई, हाथ, चेहरे या नाक की पोंछाई। आता जब है…

औरों में अच्छाई देखें-लवली वर्मा

औरों में अच्छाई देखें औरो में अच्छाई देखें, छिपी न कोई बुराई देखें। देखो औरों की अच्छाई, कैसा भी हो उनका अतीत। ढूंढोगे अगर उनमें बुराई, न होगा कोई तुम…

टीका महोत्सव-लवली वर्मा

टीका महोत्सव चलो टीका महोत्सव मनाएं, 45 वर्ष से ऊपर सभी लगाएं। प्रधानमंत्री जी की है अपील, टीका लगवाएं स्व शरीर। कोविड टीकाकरण अत्यंत जरूरी, मास्क, सफाई दो गज की…

वैभवशाली बिहार-लवली वर्मा

वैभवशाली बिहार 22 मार्च 1912 को पृथक होकर, पाया बिहार ने अपना अस्तित्व। 109 वर्षों की गौरवशाली यात्रा, अतीत हज़ार वर्षों से रहा समृद्ध। समृद्ध संस्कृति, जीवंत परंपरा, भूमि अत्यंत…

प्रवेशोत्सव का शुभारंभ-लवली वर्मा

प्रवेशोत्सव का शुभारंभ प्रवेशोत्सव का हुआ शुभारम्भ, सीखना-सिखाना पुनः आरम्भ। प्रवेशोत्सव में निर्धारित गतिविधि, 8 से 20 मार्च है नामांकन अवधि।  प्रभात फेरी का हुआ आयोजन, जागरूक हुए छात्र-अभिभावक। जागरूक…

होली-लवली वर्मा

होली होली रंगों का त्योहार, फाल्गुन का पर्व विशेष। उड़ते रंग और गुलाल, मिट जाते हैं द्वेष-क्लेश। अच्छाई की जीत दर्शाता, होलिका दहन होता विशिष्ट। अनुराग होता चहुं ओर, उड़ते…

ऋतुराज वसंत-लवली वर्मा

ऋतुराज वसंत छह ऋतुओं में एक है, विशेषता जिसकी अनेक है। जिसमें होता सुखद अनुभव, ऋतुराज वसंत है वह। पुष्पित होते बाग-बगीचे, झूला झूलें वटवृक्ष नीचे। रागरंग होता है चहुं…