खड़ी है तेरे द्वार बहना-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

खड़ी है तेरे द्वार बहना धागा रक्षा के बांधे तेरे हाथ बहना, राजा भैया तू हर युग में साथ रहना। नित् दिन रहती आश लगाए, सोचती कब शुभ दिन ये…

वर्षा रानी-जैनेन्द्र प्रसाद “रवि”

  वर्षा रानी उमड़-घुमड़ कर बादल गरजे बूंदें गिरती आसमानी, पृथ्वी पर अपना प्यार लुटाने आती हैं वर्षा रानी। ग्रीष्म ऋतु से विह्वल होकर पेड़-पौधे मुरझाते, प्रचंड धूप से आहत…