बेजुबान जरा देखकर गाड़ी, चलाओ गाड़ीवान। तेरी लापरवाही से निकल जाता कितने बेजुबानों का प्राण। मारकर ठोकर उनको, तुम कर देते हो लहुलुहान। राह पर तड़पता छोड़, क्यों निकल जाते…
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जय गंगा मैय्या-कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
जय गंगा मैय्या हर हर गंगे, नमामि गंगे। पतितपावनी, मोक्षदायिनी गंगे। भगीरथ के तपोबल से गंगा, वैकुण्ठ छोड़ धरा पर आई। महादेव के जटा में समाकर, निर्मल धार धरा पर…
योग और आध्यात्म-कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृती’
योग और आध्यात्म योग है आध्यात्मक की सीढ़ी जो जन इसपर चढ़ता जाता है तन-मन अपना पावन बनाकर अद्भुत सुख वो पाता है। योग की निरंतर साधना से अंतर्मन खिल…