मातृभूमि-देव कांत मिश्र

मातृभूमि मातृभूमि है अपनी प्यारी, जन-जन को बतलाना है। इसकी नित रक्षा की खातिर, सुन्दर भाव जगाना है।। देखो माटी चंदन जैसी, लगती कितनी प्यारी है। खुशबू इसकी सौंधी होती,…

आज़ादी के नग्में-नूतन कुमारी

आज़ादी के नगमें स्वर्णिम इतिहास की गाथा, संजोकर दिल में अपने हम, ख़ुशी के गज़लें, आज़ादी के हम नग्में सुनाएंगे। पहुंचे प्रेम की पराकाष्ठा अपने चरम सीमा पर, सभी के…

स्तनपान है अमृतपान-शुकदेव पाठक

स्तनपान है अमृतपान शिशु  जन्म के  फौरन बाद कराएं सभी मां  स्तनपान मां का दूध है अमृत समान रहता जीवन भर अभिमान। मां का दूध जीवन की धारा निर्भर इस…

स्तनपान-अशोक कुमार

स्तनपान मां के गाढ़ा पीला दूध में,  पाए जाते हैं कोलोस्ट्रम। जन्मजात शिशु के लिए, होता अमृत समान।। बच्चे स्तनपान के अभाव में, होते कुपोषण के शिकार। जिसको मां का…

हरियाली-अनुज वर्मा

हरियाली सावन के आने से, हरियाली चहूँ ओर छाई। गजब है ये सृष्टि हमारी, सभी दिखती रंगों से प्यारी। पेड़ों की शोभा है हरियाली, पत्तियों की काया हरियाली। हरियाली जब…

मां भारती-अशोक कुमार

मां भारती मां भारती कर्म भूमि तेरी, निर्मल धारा पवन करे फेरी। गंगा के अविरल धाराओं ने, कष्टों का निवारण करें मेरी।। तेरी गोद में बहती गंगा, सबका जीवन है…

गंगा-नूतन कुमारी

  गंगा मोक्षदायिनी गंगा सर्वस्व समाहित कर जगत को निरंतर करती दुलार मां समान। कल्याणकारी गंगा इक बूंद से तृप्ति हो ऐसी ज्यों बुझी तृष्णा अनंत जन्मों की। पतितपावनी गंगा…

मैं भारत हूँ-देव कांत मिश्र

मैं भारत हूँ मैं भारत हूँ, सदा रहूँगा, ऐसा ‌ही बतलाऊँगा। माटी के कण-कण से सबको, अभिनव गुण सिखलाऊँगा।। पत्ते कहते मैं भारत हूँ, हरा रंग दिखलाऊँगा। हरित भाव को…