अम्बे कण मन में बसती हो-स्नेहलता द्विवेदी आर्या

अम्बे कण मन में बसती हो चमक असुर भयाक्रान्त हुआ, सज्जन साधु मन शांत हुआ। माँ साध्वी परम् तू तेजोमय, चन्द्रघण्टा भगवती मान हुआ। प्रेम स्नेह रसधार सहित, अम्बे कण…