जग का पालनहार कन्हैया – दीपा वर्मा

धीरे आते माखनचोर, खाते माखन, मटकी फोड़। खुश हो आती, मैया दौड़, घबराती, बैंया मरोड़। छुप के आँसू भी बहाए, क्यों लल्ला, मेरे हाथों पिटाए। माखन ही तो, खाया है,…