प्यारी भाषा हिंदी – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

हिंदी  हैं  हम  वतन हैं ,
यह  हिंदोस्ता   हमारा।
यह भाषा बहुत सरल है,
यह  सौभाग्य है हमारा।।

हिंदी  जितनी  सहज  है,
उतनी  न  कोई   भाषा।
विश्व रंगमंच पर ये दमके,
है हर पल की अभिलाषा।।

यह हर भावों में बसी है,
लगती  है सबको  प्यारी।
इसकी लिपि है देवनागरी,
इसके शब्द सबसे न्यारी।।

इसके हर शब्द दिल को छू ले,
ऐसी भाषा है हमारी।
यह जीवन सुधन्य कर दे,
यही शुभकामना हमारी।।

हमारी पहचान है इसी से,
यह जान से  भी  प्यारी।
यह हर देश में नित गूँजे,
नित अभिलाषा है हमारी।।

हम जितना मान करेंगे,
उतना सम्मान है हमारा।
यह हर दिल में बसी है,
यही  प्यार है हमारा।।

यह दिलों को  जोड़ती है,
दिल  में  प्यार  घोलती  है।
दिल में  जितना इसे बसाएँ,
यह दिल के तार  जोड़ती  है।।

यह जीवन नई है  गढ़ती,
नित संस्कृति में पलती।
भाषा की सिरमौर है यह ,
जन-जन के मन में बसती।।

इसके हर अक्षर में वजन है,
हर शब्द मन को भाए।
सभी इसके धुन में मगन हैं,
इसमें  ही  गीत गाए।।

इसकी बोली है ऐसा अमृत,
सीधे दिल को जोड़ती है।
यह भाषा इतनी कोमल,
न कभी विश्वास तोड़ती है।।

यह भाषा सहज सरल है,
मन की भी आभा खोले।
गर लिख ले कोई दिल से,
तो दिल के भी तार बोले।।

इसमें सृजन की है शक्ति,
यह  मधु  बार-बार घोले।
इसमें  है प्रभु  की  भक्ति ,
नित श्रद्धा का द्वार खोले।।

यह  केवल उत्तर की नहीं है,
दक्षिण में भी द्वार खोले।
यह केवल पूरब की नहीं है ,
पश्चिम में भी मिसरी घोले।।

है हिंदी सबको प्यारी,
यह गौरव है जन- जन की।
यह नित प्रेम  को  जगाए,
यह तकदीर इस चमन की।।

है  भाषा   सहज  सुकोमल,
यह मन को भी  वश में कर ले।
यह जीवन की सरित प्रवाह है,
जीवन को भी धन्य कर दे।।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा, जिला-मुजफ्फरपुर

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