दोहावली – देव कांत मिश्र

दोहावली हे माता सुरपूजिता, करूँ चरण प्रणिपात। मैं मूरख मतिमंद हूँ, भरो ज्ञान-अवदात।। अमिय ज्ञान देना मुझे, देना स्वर झंकार। हृदय-मग्न गाता रहूँ, लेकर अनुपम प्यार।। वाणी मधुरिम हो सदा,…

जय माँ शारदे-स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

जय माँ शारदे हे शारदे जगजननी माते, हे सुर धुन ज्ञानी तू वर दे। श्वेताम्बरा सुमति सुमुखी माँ सुन, हे अनहद नादिनी तू स्वर दे। प्रणमामि त्वयं, भजामि तव्यं स्वीकार…