दीपोत्सव-दिलीप कुमार गुप्त

  दीपोत्सव झिलमिल झिलमिल दीप जले अन्तस तिमिर संताप छँटे सद्भावों के धवल व्योम तले अवनितल मैत्री सुमन खिले। ज्ञानालोक अपरिमित पाये विस्तार सदाचार हो मानवता का आधार तिरोहित हो…

सब में प्रभु का रूप समाया-दिलीप कुमार गुप्त

सब में प्रभु का रूप समाया  झिलमिल तारों का श्याम व्योम अवनि के वक्ष पर अवतरित हिम ओम अथाह सिंधु की गहन गर्जना प्रकृति की मनभावन रूप संरचना सुगंधित पुष्प…

परम सत्ता पर विश्वास हो-दिलीप कुमार गुप्त

ko परम सत्ता पर विश्वास हो चिंता की परिधि से हो पृथक सदचिंतन का विस्तार हो मलिन कराल ताप तिमिर से धवल शशि का दीदार हो। लौकिकता के अंतहीन क्षितिज…

राष्ट्र धर्म-दिलीप कुमार गुप्त

राष्ट्र धर्म  क्षेत्रीयता की संकीर्णता के पार स्वार्थ परक नीति के उस पार भाषाई मनोवृत्ति से मुख मोड़कर अस्पृश्य तमिस्त्रा से रिश्ता तोड़कर भारत ज्योत्सना झिलमिलाना है आओ! हमें राष्ट्र…

प्यारी बहना-दिलीप कुमार गुप्त

  प्यारी बहना  तुमसे सुरभित मेरी जिंदगी तुम ही प्रार्थना तुम ही बंदगी तेरी प्यारी मासूम सी सूरत ममता लुटाती माँ की मूरत निर्मल अन्तःकरण तुम्हारा जीवन प्रभा शुभ उजियारा।…

स्वतंत्रता का पुष्प-दिलीप कुमार गुप्त

स्वतंत्रता का पुष्प  स्वतंत्र राष्ट्र, स्वतंत्र निर्णय आज यहाँ संस्कृति निर्भय चाकर स्वामी भेद मिटाया सबको सब का पूरक बनाया शोषण के छंट गये वारिद ज्ञानी ध्यानी हुए कवि कोविद…

सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम-दिलीप कुमार गुप्त

सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम  हे गुरुवर, हे दयानिधे! आपके हैं अनंत उपकार आत्मज्ञान की ज्योति जलाकर सदज्ञान का पियूष पिलाकर मानवता का किया उद्धार सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम।…

शुभ संस्कार-दिलीप कुमार गुप्त

शुभ संस्कार आध्यात्मिकता से सुख मिलता है अन्तःकरण निर्मल होता है अद्वैत न होता दुश्वार सुपथ देता तब आत्मोद्धार उदित होताजब शुभ संस्कार । सात्विक प्रवृत्तियाँ जगती हैं पापवृतियाँ क्षरित…