गुरुवर सच्चे कर्णधार-देव कांत मिश्र दिव्य

गुरूवर सच्चे कर्णधार गुरूवर तुम सच्चे कर्णधार सारे शिष्यों का बहुत भार। दिव्य ज्ञान की जोत जलाकर निशिवासर करते उपकार ।। गुरूवर……….. ‌ पूजनीय तुम वंदनीय हो तुम हो अजस्र…

राखी-देव कांत मिश्र दिव्य

  राखी  पावन सावन मास में आकर अनुपम स्नेह लुटाती राखी। भैया के हाथों में सजकर मन ही मन मुस्काती राखी।। रंग-बिरंगे फूलों जैसी प्रेम सुधा बढ़ाती राखी। हीरे, मोती,…