राधाकृष्ण से सीताराम बनना है प्रेम- राजेश कुमार सिंह

वह प्रेम है ही नहीं जिसका उद्देश्य शरीर को पाना है। हर युग में प्रेम का मतलब राधा-कृष्ण बन जाना है।। माता-पिता एवं गुरुजनों को भुलाकर प्रेम नहीं होता। संस्कृति…

हिन्दी और आप-राजेश कुमार सिंह

हिन्दी और आप आप बिल्कुल हिन्दी की तरह हो; आपको समझना आसान नहीं है। भाषा की समरसता हिन्दी, भावों की सरसता आप; यह जोड़ी सही है।। राजभाषा कहलाती है; साहित्य…

भारतवर्ष का पचहत्तरवाँ स्वतंत्रता दिवस- राजेश कुमार सिंह

भारतवर्ष का पचहत्तरवाँ स्वतंत्रता दिवस भारत माँ की संतान हेतु गुरु-शिष्य का केंद्र है। सुपुत्री आराध्या और सुपुत्र रामार्यांश नरेन्द्र है।। विश्वगुरु भारत के आगे सारी दुनिया पस्त है। आज…

रामचरित-राजेश कुमार सिंह

चौदह कलाओं वाले सीतापति का रामचरित मेरे आराध्य देव मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं। रघुकुल शिरोमणि निश्छल और निष्काम हैं।। पिता दशरथ और माता कौशल्या के दुलारे हैं। लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न…

अनमोल रिश्ता भाई-बहन का-राजेश कुमार सिंह

अनमोल रिशता भाई-बहन का रिश्ता अनमोल है भाई-बहन का। जैसे सुभद्रा और किशन का; जैसे धरती और गगन का।। रिश्ता अनमोल है भाई-बहन का। पुष्प है भाई; सुगंध बहन है।…