विषपान-धर्मेन्द्र कुमार ठाकुर

विषपान सोचना हमें किस पथ पर चलना होगा सामने है संकटों का जखीरा पत्थरों का ढेर है रास्ते है टेडी-मेड़ी सामने काँटो भरा पेड़ है। हीत-अनहित की बात मत कर…