शरद पूर्णिमा का सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता चाँद। दूधिया रोशनी बिखेरता प्रेम चाँदनी संग दिलोंजान से करता। घटता बढ़ता चाँद वक़्त परिवर्तन की सुंदर कहानी कहता। शीतलता चाँद…
Author: Dev Kant Mishra
मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
दिन भर काम करे, कभी न आराम करे, अकेली सुबह शाम, भोजन बनाती हो। हमें विद्यालय भेज, कपड़े बर्तन धोती, काम से फुर्सत नहीं, खाना कब खाती हो? जब नहीं…
दोहावली- रामकिशोर पाठक
अपने मन की कीजिए, रखकर मन में चाव। औरों की वो मानिए, जो हो सही सुझाव।। सत्य वचन हीं बोलिए, रखकर मधुर जुबान। वैसा सत्य न बोलिए, जो करे…
सत्प्रवृत्ति के सोपान – अमरनाथ त्रिवेदी
कर्त्तव्य हमारे ऐसे हों नित , जहाँ मन की मलिनता न छाए। सदुपयोग, अधिकार का ऐसे करें , जहाँ अहंकार तनिक भी न आए। परहित धर्म कभी न छोड़ें ,…
कहतीं रहीं अम्मा – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
तुम हाथ साफ रखना, यह कहतीं रहीं अम्मा, स्नान- ध्यान करना, कहतीं रहीं अम्मा। अब आ गया जमाना हम भूल गए थे, वो सब बड़ी शिद्दत से, कहतीं रहीं…
देखो सानवी आई है – रामकिशोर पाठक
देखो सानवी आयी है। संग सहेलियाँ लायी है।। रंग दो माँ पाँव सभी का, लगे मनोहर भाव सभी का, प्रमा कहती हर्षायी है। देखो सानवी आयी है।। संग मुझे…
चिड़िया रानी – रूचिका
चूँ चूँ करती चिड़िया आती दाना-पानी कहाँ से लाती। क्या खाती और क्या वह पीती, बोलो बोलो कैसे वह जीती।। खेतों में, खलिहानों में, हरे-भरे मैदानों में, घर के आँगन,…
मम्मी दुनिया से निराली है – अमरनाथ त्रिवेदी
दुनिया चाहे कुछ भी कह ले मम्मी ही हमारी जान है। हर सुख-दुःख में साथ वह देती , मम्मी ही हमारी पहचान है।। मम्मी की बात मीठी होती, लगती हमें …
मेरे राम- स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
राम जप है, राम तप है, राम आदि अंत है। राम राग, राम त्याग, राम तो अनंत है। राम जप है, राम तप है, राम आदि अंत है। ज्ञान…
देवी माँ- कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
देवी माँ के असली रूप को भला कौन है जान पाया, जैसा जिसका भाव माँ ने उसको वैसा रूप दिखाया। जिस किसी ने भी मातारानी को जिस भाव से…