निरख सुहानी भोर, सुखद विहंग शोर, प्राणवायु का सहर्ष, अनुभव कीजिए। ललित प्राची की लाली, भृंगी बाग मतवाली, भीनी गंध प्रसूनों की, तन-मन लीजिए। कोयल की कूक प्यारी, लता की…
Author: Dev Kant Mishra
प्रकृति का संदेश- सुरेश कुमार गौरव
हरी-भरी यह धरती अपनी, इसको हमें बचाना है। पेड़ लगाकर, जल बचाकर, हरियाली फैलाना है॥ नदियाँ बहें सदा निर्मल-सी, कलुष नहीं जल करना है। नीला नभ हो,शुद्ध पवन हो,ऐसा जग…
चंद्रशेखर आजाद – रामकिशोर पाठक
भारत है वीरों की धरती, आओं मिलें आजाद से। अंग्रेज सदा काँपा करते, जिनके हीं शंखनाद से। ब्राह्मण कुल का ऐसा बाँका, डर पाया न परिवाद से। न्यायाधीश अचंभित-सा था,…
शिवरात्रि विशेष दोहावली- रामकिशोर पाठक
प्रकृति वधू का रूप ले, पुलकित रही निहार। पुरुष प्रकृति का है मिलन, मन में लिए विचार।। फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी, विदित सकल संसार। इसी दिवस ब्रह्माण्ड का, शुभदारंभ प्रसार।। शैलसुता…
दोहावली – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
गिरिजापति भूतेश शिव, आया हूँ दरबार। विनती बारंबार है, करिए बेड़ा पार।। अंतक अक्षय आप हो, उमापति विश्वनाथ। नीलकंठ शिवमय सदा, उमा शक्ति है साथ।। शादी भोलेनाथ की, महिमा अपरंपार।…
प्रकृति – रत्ना प्रिया
नित्य कर्मरत रहती प्रकृति, तब जग सुंदर हो पाता है। जग में वही सफल हो पाता जिसे परिश्रम भाता है।। नभ में सूरज चाँद-सितारे, नित्य समय पर आते हैं, जिम्मेदारी…
सच में जीवन जीना सीखें – अमरनाथ त्रिवेदी
रोते को हँसाना सीखें, जग में नाम कमाना सीखें। कभी न झगड़ा झंझट करें, दिल खुशियों से भरा करें। मन से दुख को जाएँ भूल, यही जीवन में रखना वसूल। जीवन में सुख-दुःख…
मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक
आधार का वर्ग मान, लंब का भी वर्ग ज्ञान, दोनों के योगफल को, ज्ञात कर लाइए। तीसरी भुजा कर्ण लें, उसका वर्ग कर लें, योगफल के मान से, तुल्य कर…
रूप घनाक्षरी – रामकिशोर पाठक
अनुपयोगी का साथ, हानिकारक का हाथ, प्रदूषण कहलाता, बिगड़ जाता है काज। भूमि जल वायु संग, ध्वनि प्रकाश का ढंग, या तकनीकी संचार, सभी प्रदूषित आज। प्लास्टिक को रोककर, पेड़…
शिक्षक: ज्ञान के दीपक- सुरेश कुमार गौरव
शिक्षक हैं वो दीप प्रखर, जो तम को हरने आते हैं, ज्ञान-ज्योति से जगमग करके, जीवन पथ दिखलाते हैं। संस्कारों की निधि अनमोल, उनके शब्दों में बसती हैं, सही दिशा…