मैं हिंदी-अपराजिता कुमारी

Aprajita

Aprajita

मैं हिंदी

मैं हिंदी
मैं भारत की मातृभाषा
मैं जन्मी देव भाषा संस्कृत से
मेरी लिपि देवनागरी
14 सितंबर 1949 को
बनी भारत की वैज्ञानिक
एवं सामर्थ्यवान भाषा।

मैं भारत की राजभाषा
मेरा शब्दकोश बड़ा विशाल
जहाँ सैकड़ों शब्द विद्यमान
मैं तो हूॅं व्यवहारिक भाषा।

मेरी पांच उप भाषाएं और
16 बोलियां प्रचलित
मैं सबसे सरल
लचीली भाषा
मैं तो हूॅं सजीली भाषा।

मेरा उज्जवल, उन्नत
सहज, सरल स्वरूप
मैं संसार में प्रचलित
सबसे व्यवस्थित भाषा
मैं आम लोगों से
जुड़ी संपर्क भाषा।

मुझे मिली संस्कृत
की विशाल शब्द संपदा
मिली विरासत में मुझे
नवीन शब्द रचना सामर्थ्य।

मुझे बोलने समझने वाले
विश्व में 50 करोड़
से भी अधिक
मैं जनमानस की
प्रिय भाषा।

मेरे 11 स्वर 33 व्यंजन
मैं अलंकृत, व्यवस्थित,
सुसज्जित व्याकरण से
साहित्य, भक्ति, वीरगाथा,
सौंदर्य, प्रेम हो या विरह
मुझसे होता सबका श्रृंगार।

हर्ष, भावना, विरह, वेदना
व्यक्त करने की प्रिय भाषा
लेखक, कवि, गीतकारों की
मैं सजीली भाषा।

मैं हिंदी
मैं जन-जन की भाषा
मैं भारत की आत्मा की भाषा
मैं भारत की मातृभाषा।

अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय
जिगना जगरनाथ
 हथुआ गोपालगंज

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply