मेरे बिहार के प्रगतिदाता
मेरे बिहार के प्रगति दाता
भारत-बिहार के जन-जन में
कर्म, बुद्धि और ज्ञान प्रदाता
मेरा बिहार है जग विख्याता।
प्राचीन स्वर्ण युग का बिहार
सदियों तक रहा मानव का विहार।
महावीर के सत्य अहिंसा की वाणी
तथागत बुद्ध सा दिव्य रहे परम ज्ञानी।
राजनीति के चाणक्य रहे प्रखर वेत्ता
चाणक्य-नीति के बने वे सिद्ध प्रस्तोता।
ज्ञान-विज्ञान राजनीति के निगहबान
बिहार से ही बनती है इनकी पहचान।
विजयी सम्राट अशोक की बौद्ध नीति
इन्होंने बढाई बिहार की महान कीर्ति।
चंद्रगुप्त मौर्य का भी रहा स्वर्णिम काल
याद दिलाता हर दिन, समय और साल।
गुरु गोविंद सिंह के मिलते अमूल्य विचार
गुरुग्रंथ की वाणी से सदा सिखाते सदाचार।
प्राचीन राजतंत्र से वर्तमान लोकतंत्र
सबमें रहा इसका मजबूत विचार मंत्र।
परतंत्र काल में भी भूमिका निभाता रहा
आजादी का मतलब सबको सिखाता रहा।
राजेन्द्र, कृष्ण, जगजीवन और कर्पूरी
जननायक जयप्रकाश के बिना अधूरी।
इन्होंने छेड़ी आजादी के गजब तराने
जन-जन तक पहुंचे आजादी के दीवाने।
वीर कुंवर ने भी खेली आजादी की होली
सिखलाई आजादी और देशधर्म की बोली।
अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए गांधी के पड़े चरण
बिहार भूमि ने किया था तब उनका वरण।
राजनीति के चाणक्य की चाणक्य नीति
विदुर से ही निकली यहां महान विदुर नीति।
एक ने राजनीति की कूटनीति सिखलाई
एक ने सामाजिक सोच की नीति बताई।
गणितज्ञ व खगोल ज्ञानी आर्यभट्ट ने किया
गणितीय शून्य व सूत्र का महान आविष्कार।
विश्व को मिला तीक्ष्ण गणित का सुत्रकार।
गणतंत्र की जननी प्रथम बनी थी वैशाली
बरसों तक बनी रही यह सदा वैभवशाली।
हे! भारत के सब कुशल भाग्य विधाता
आपके विचार जन-जन को है सिखाता।
कभी न उजड़े मेरा अपना प्यारा ये चमन
बिहार भूमि को करता हूं कोटि-कोटि नमन।
सुरेश कुमार गौरव ✍️
मेरी स्वरचित मौलिक रचना
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