अद्वितीय कवि दिनकर – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

एक अद्वितीय कवि दिनकर

केवल  बातों  पर  ही  बात  नहीं,

तथ्यों  पर प्रखर रूप से बात करे।

कवि वैसा हो जो यथार्थ धरातल पर,

प्रखरता से दिल में उतर  बरसात करे।।

ओजस्वी भाषा  उसकी  हो,

जो  जीवन  में आस   सजाए।

जीवन  के   प्रत्येक  मार्ग   में,

घर-घर  में  अलख  जगाए।।

केवल  जन्म  से  नहीं  कर्म  से भी,

उनकी  होती  थी  जय  जयकार।

उनकी  भाषा  उनकी   लेखनी  में,

सदा मिलती थी कुछ पाने की ललकार।।

नमन  करें   ऐसे  कविवर   का,

सिमरिया में जिनका अवतरण हुआ।

अपने  देश, अपनी  भाषा  में,

न कभी यश, कृति का क्षरण हुआ।।

थे कवियों में  वे  प्रखर  कवि,

भाषा पर था उनका अधिकार।

उनकी  वाणी  में  क्रांति स्वर थे,

था समता  का भी  उच्च विचार।।

अंग्रेज हुकूमत भी थर्राती थी,

इनकी  कविता  सुन-सुन कर।

जन चेतना भी  जगा दिया था,

सारे  भारत  में  घूम -घूम कर।।

जनमानस  में  ऐसी  धाक जमी,

वह  कभी  नहीं   जानेवाली।

अब  काया उनकी नहीं  यहाँ,

पर कालजयी रचना  नही मिटनेवाली।।

भाषा  का  ऐसा   चतुर  पुरोधा,

अब   कहाँ   हमें   मिलनेवाला।

जो ज्योति जलाई है ज्ञानदीप  की,

अब  कभी  नहीं  बुझनेवाला।।

रश्मिरथी   लिखकर  उन्होंने,

जग   को  ढेरों   ज्ञान  दिया।

उसमें ओज भावना  भरकर ,

हिंदी भाषा का सम्मान किया।।

कुरुक्षेत्र , परशुराम की प्रतीक्षा,

उनकी  रचनाओं के  खम्भ हैं।

उर्वशी, द्वंद्व गीत ,रसवंती आदि

उनकी काव्यकृति  के स्तंभ  हैं।।

संस्कृति के चार अध्याय लिख

गद्य भाव को भी परिपुष्ट  किया।

अपने बलबूते ही हिंदी भाषा को

और  अधिक  परिष्कृत   किया।।

एक अद्वितीय कवि  थे दिनकर,

जिनकी रचना का कोई जोड़ नहीं।

उसमें  भाषा  की  थी   मर्यादा ,

उनकी कविता का कोई तोड़ नहीं।।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा, जिला- मुजफ्फरपुर

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