छठ पर्व की महिमा अति न्यारी,
चार दिनों तक लगती है प्यारी।
जीवन सकल धन्य कर देती।
यह सर्व दुर्गुणों को हर लेती।
चारों ओर उत्सव और बधाई,
लगता जीवन में जागी तरुणाई।
हर घर में शोभा अति न्यारी,
महिला गीत गाती है प्यारी।
नहीं कहीं दीखता शोर शराबा,
नहीं कहीं मिलता मन से दुरावा।।
सब मिलते हैं भाई भाई ,
नहीं तनिक लगते हैं पराई।
चार दिनों का यह पर्व है पावन,
पल पल लगते अति मनभावन।
सब भक्ति रस में डूबे हुए हैं,
व्रती कठिन व्रत किए हुए हैं।
प्रेम, प्रसाद, पूजा और अर्चन,
इसमें प्रिय संवाद है अर्पण।
छठी मईया की घर- घर पूजा,
शुद्धता का विकल्प न दूजा।
यह पर्व श्रद्धा, प्रेम उपजाए,
मन में शुद्धता का भाव जगाए।
नहाय-खाय से शुरू होता पावन,
पारण के दिन लगते अति भावन।
घाटों की शोभा देखते ही बनती,
दउरा , डाला , सूप सर्वत्र है दिखती।
चारों दिशाएँ मह-मह करती,
सुखद कल्पना से दिल है भरती।
क्या करूँ छठ पर्व की बड़ाई,
इतनी सुखद श्रद्धा है समाई।
बिछुड़े परिजन जरूर मिलते हैं,
जो साल भर कभी न दिखते हैं।
यह सूर्योपासना का पर्व मनोहर,
इस जग के सर्व प्राण हैं दिनकर।
उनसे ही यह लोक उजियारा,
उनसे ही सर्वत्र हरता अंधियारा।
इससे पवित्र नहीं कोई पावन,
न इससे रुचिकर मनोहर भावन।
इस पर्व का महत्त्व हम जानें,
कभी न दुराव सप्रेम पहचानें।
दिन पर दिन प्रीति रस बोई,
जीवन धन्य करे सो कोई।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा , जिला – मुज़फ्फरपुर