दैनिक कार्य – गिरीन्द्र मोहन झा

Girindra Mohan Jha

 

सूर्योदय से पूर्व जाग उदित सूर्य संग क्रियाशील जीवन का आरंभ करना,

पृथ्वी, सूर्य, गुरु और ईश्वर की थोड़ी उपासना अवश्य करना,

योगाभ्यास, व्यायाम कर अपने शरीर को स्वस्थ और फिट रखना, इसकी क्षमता को निरंतर बढ़ाना,

अपने शरीर, इन्द्रियों, मन, बुद्धि और आत्मा की शक्ति को निरन्तर बढ़ाना,

प्रतिदिन कुछ अर्थपूर्ण लक्ष्यों को अवश्य प्राप्त करना,

प्रतिदिन कुछ तुम शुभ संकल्पों को अवश्य पूर्ण करना,

प्रतिदिन थोड़ा ही सही, दूसरों की भलाई का कार्य करना,

निरंतर आत्मसुधार, सबके कल्याणार्थ कुछ रचनात्मक कार्य अवश्य करना।

कुछ न कर पाओ, तो थोड़ी बहुत शुभ चिंतन ही कर लेना, शुभ विचार ही कर लेना,

चिंतन की शक्ति भी क्रिया-शक्ति से कम नहीं होती, तेरा शुभ चिंतन शुभ तरंग, शुभ प्रभाव छोड़ेगा,

वातावरण की अशुभता, नकारात्मकता की दिशा को मोड़ेगा।

रात्रि में कितने ही परिश्रम कर सोने जाओ, सोने से पूर्व प्रभु का ध्यान अवश्य कर लेना,

तुम नर बन आये हो भारत भूमि पर, क्या बनते, क्या होते, क्या

करते और क्या किये जा रहे हो, इसका थोड़ा भान अवश्य कर लेना।

बहुत आत्मसंतुष्टि मिलेगी, आत्मचिंतन से आत्मविकास का मार्ग खुलेगा,

सब नागरिकों के नित्य निरन्तर बढ़ते रहने से ही हमारा राष्ट्र बढ़ेगा।

गिरीन्द्र मोहन झा

+2 भागीरथ उच्च विद्यालय चैनपुर- पड़री, सहरसा

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