स्वतंत्रता संघर्ष-शुकदेव पाठक

स्वतंत्रता संघर्ष

सबसे बड़ा त्यौहार हमारा
15 अगस्त आया है।
चलो मिलकर इसे मनाएँ
सबके मन को भाया है ।
जकड़ी हुई थी मातृभूमि
परतंत्रता की वेणी से
बलिदानियों के स्वाभिमान से
सबका मन हरसाया है।
चलो मिलकर इसे मनाएँ
15 अगस्त आया है।
याद करो जब सन 57 में
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ
लक्ष्मीबाई, मंगलपांडे को
गुलामी का एहसास हुआ।
भारत माँ के सपूतों ने
अपने को दर्शाया है।
चलो मिलकर इसे मनाएँ
15 अगस्त आया है।
याद करो जब किसानों पर अंग्रेजों ने जुल्म ढाया था
‘नील विद्रोह’ के रूप में हमनें
अपना परिचय कराया था।
गोरों के छूटे पसीने
यही रीति अपनाया है।
चलो मिलकर इसे मनाएँ
15 अगस्त आया है।
‘जालियांवाला बाग’ पर जब
‘जनरल डायर’ का कुकृत्य हुआ
गाँधी जी ने ‘असहयोग’ से
ताकत अपना झोंक दिया।
‘सविनय अवज्ञा’ के द्वारा
आग का गोला बरसाया है।
चलो मिलकर इसे मनाएँ
15 अगस्त आया है।
‘पूर्ण स्वराज’, ‘नमक सत्याग्रह’
‘डांडी मार्च’ का आगाज हुआ
‘आजाद हिंद फौज’ के द्वारा
‘बोस’ जैसा जांबाज मिला।
अंग्रेजों को ‘सोने की चिड़िया’
की गद्दी से तरसाया है।
चलो मिलकर इसे मनाएँ
15 अगस्त आया है।
अंग्रेजों में मची खलबली
दिया जब ‘भारत छोड़ो’ नारा नेहरू, सरदार, भीम अंबेडकर
प्रसाद, बापू जैसे ‘आंखों का तारा’
भारत माँ हुई स्वतंत्र
प्यारा तिरंगा 🇮🇳फहराया है।
चलो मिलकर इसे मनाएँ
15 अगस्त आया है।

✍️ शुकदेव पाठक
रा. म. वि. कर्मा बसंतपुर 
कुटुंबा, औरंगाबाद

Leave a Reply