गुरु वन्दना-स्वाति सौरभ

गुरु वन्दना

हम हैं कोरे कागज़-सा, आप कलमकार हो गुरुवर।
हम तो लिखते गीत हैं, आप सजाते सुर- ताल हो गुरुवर।।

हम तो हैं नौसिखिये परिदें, लड़खड़ाते बार- बार हैं गुरुवर।
आप तो हमें उड़ना सिखाते, बनाते हमें बाज हो गुरुवर।।

हम जमीं पर गिरे बीज-सा, सींचते हमें तो आप हो गुरुवर।
हम तो हैं नवकोपल-सा, तरुवर बनाते आप हो गुरुवर।।

हम तो बिखरे मोती-सा चुन-चुन कर लाते आप हो गुरुवर।
संजोकर हमारे सपनों को, पिरोकर माला बनाते आप हो गुरुवर।।

हम तो हैं छोटी सी कश्ती, तूफ़ानों से घबरा जाते हैं ।
आप तो हो कश्ती के मांझी, तुफां से लड़ना सिखाते गुरुवर।।

हम तो हैं मासूम कली-सा, जिसे तोड़ सके हर कोई गुरुवर।
आप तो हो माली बगिया के, हमें टूटने से बचाते गुरुवर।।

हम तो हैं उड़ते पतंग-सा, गगन चूमना चाहते गुरुवर।
आप थामे हो मांझा डोर, गगन की सैर कराते गुरुवर।।

आप जलाते ज्ञान का दीप, ज्ञान का प्रकाश फैलाते गुरुवर।
अच्छाई का मार्ग दिखाते, दुनियाँ बदलने की आवाज हो गुरुवर।।

करते हम आपका वंदन, आपके चरणों का धूल भी चंदन।
आप हो परम् पूज्य परमेश्वर, हम नमन में शीश नवाते गुरुवर।।

स्वाति सौरभ
आदर्श मध्य विद्यालय मीरगंज,
आरा नगर भोजपुर

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