मुस्कान- अश्मजा प्रियदर्शिनी

Ashmaja Priyadarshini

निराश ह्रदय कुंठित काया को हर्षित करे खिल जाता जीवन बगिया अनूप ।
मिल जाती खुशियाँ अपार न होता विषम वेदना,कष्ट,विपदा कुरुप ।
कभी चाँद की चाँदनी की शीतलता ,कभी दिल की गहराई में दर्द वज्र सरूप ।
मुस्कान में छिपी होती है जीवन की विविधता के अनेक अनुपम स्वरूप ।
दुःख निराशा हर ले,बदल दे जो चेहरे के स्थायित्व का रूप अनूप ।
जज्बातों से घिरे जुबान पर सन्नाटा पसरे,जैसे फँस गए हो अंधकूप ।
अनगिनत भावनाओं ,विविध उमंगों को चित्रित करती पर जिह्वा रहती चुप ।
मुस्कान विपत्ति में संकट में मन को हर्षित करता,खिलखिलाता मुखरा वरुप ।
मुस्कान की सादगी अद्वितीय, अनोखी पर कठिन है समझना इसका तदरूप ।
घटता बढता रहता जैसे नितदिन चन्द्रमा का भौगोलिक,अलौकिक स्वरूप ।
कभी दिल की गहराइयों में छुपा लेते गम विरले हैं ऐसे महान सद्रूप ।
शरीर को सुकून दिलाए जैसे जाड़े की ठिठुरन में सूरज की तपती धूप ।
मुस्कान रूठने -मनाने का विपुल,व्यापक आचार-विचार लौकिक रूप ।
छुपे होते हैं इसमें जीवन की उम्मीदों का अद्भुत सार व नवीनतम रूप ।
आसमान की ऊँची उड़ान भरता ,मुस्कान भर लेता कल्पनाओं का सरूप ।
ख्वाबों के रूपहले पलछिन मुस्कान लब पर बिखेर देता खुशियाँ अनूप ।
कलकल करती नदियाँ जैसे निर्वाध बहती अनोखा है इसका रूप प्रारूप ।
मुस्कान की छटा निराली ,समुद्र की मोती चुनने जैसा इसका विविध रूप।
मुस्कान हँशी का विमल विचार,मंद खुशी दर्शाता इसका अमूल मूर्त रूप ।
मुस्कान जीवन जीनें की कुंजी, जिन्दगी की सफलता का सुगम अनोखा रूप ।

रचनाकारः अश्मजा प्रियदर्शिनी
पटना,बिहार

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