पिता एक संपूर्ण विकास प्रदाता- सुरेश कुमार गौरव

suresh kumar gaurav

पिता एक अस्तित्व हैं
जिसके रहने से
स्थायित्व का बोध होता है
घने वृक्ष की छाया में
शांति का अनुभव होता है
यानी दृढ़ स्थित प्रतिज्ञ कर्ता!

धीरज ,धैर्य और स्वयं दु:खहर्ता
संयम अनुशासन और गंभीरता
प्रेम,निष्ठा ,अपनापन और
आकांक्षाओं की पूर्ति कर्ता!

यदि माता धरती तो पिता आकाश
परिवार को देते हमेशा प्रगति प्रकाश
पिता ईश्वर स्वरूप तुल्य हैं
संतान, घर के सुख के लिए
अपने सुख का त्याग कर्ता !

खुद संघर्ष कर बच्चों को आकार देना
अपनी खुशियों का परित्याग करना
पिता की असीम त्याग भावना
पुत्र के अंश की पूंजी होती है
यही पहचान रिश्ते सीखाती है
पिता यानी रिश्तों की पहचान कर्ता!

सूर्य की भांति अपने प्रकाश में
समाहित उर्जा से जीवन प्रदान कर
परिवार में संतान निर्माण कर
अपनी आजीविका से सींचकर
एक विशाल वृक्ष का निर्माण करना
यानी एक संपूर्ण परिवार निर्माण कर्ता!

पुत्र-संतान और परिवार को कई
रिश्तों की संपूर्णता के प्रदान कर्ता
मित्र, शिक्षक, अंगरक्षक बन
जीवन को भी दांव पर लगानेवाला
पिता मानो जीवन का आधार है
संपूर्ण व्यक्तिव का क्रमिक सुधार है
यानी संपूर्ण जीवन का प्रदान कर्ता!

जिनके न रहने पर
रिक्तता का आभास होता है
जीवन शून्य प्रतीत लगता है
उनके दिए सांसारिकता ही
कर्तव्य बोध कराती है
समय चक्र यही दुहराता है
पिता के अर्थ को समझाता है
यानी पिता के सार्थक शब्द
यानी संपूर्ण विकास प्रदान कर्ता!

सुरेश कुमार गौरव,स्नातक कला शिक्षक,उ.म.वि रसलपुर,फतुहा,पटना।
स्वरचित और मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित

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