आजादी के दीवाने-भवानंद सिंह

Bhawanand

आजादी के दिवाने (गाँधी जी के सपने)

02 अक्टूबर का दिन है खास
जन्मे उस दिन एक शख्स महान,
किया उसने कुछ ऐसा काम
आज भी उसपर देश को है नाज ।
देखा एक सपना उसने
देश को आजाद कराना है,
बहुत सह लिये अत्याचार
फिरंगियों को मार भगाना है ।
सन् 1917 में आए थे बिहार
बढ गया था जब अंग्रेज़ों का अत्याचार,
किया विरोध नील की खेती का
दिया साथ मिलकर सब किसान ।
अनेक आंदोलनों का किया था नेतृत्व
बचाया उसने इस देश का अस्तित्व,
राष्ट्रप्रेम भरा था उसमें
जीना मरना सब देश के नाम ।
सत्य अहिंसा के बल पर
देश को आजाद कराया है,
सन् सैतालीस का वो दिन
याद हमें खूब आती है ।
मिली आजादी भारत को जब
स्वच्छता का पाठ पढाया फिर,
भारत को स्वच्छ बनाओ मिलकर
ये अभियान चलाओ सब ।
किए कर्म ऐसा उसने
राष्ट्रपिता कहलाए वो,
बापू भी कहते हैं उसको
श्रद्धा से नमन करते हैं सब ।
30 जनवरी सन् 1948 को
नाथूराम की गोली का,
हुआ शिकार ये महामानव
हे राम कह विदा हुए ।
दुःख की बदरी छाई भारत पर
रोया तब हर लोग यहाँ,
चले गए गाँधी जी धरा से
दुनियाँ हो गई सुना-सुना ।
बापू तुम महान हो
किया आपने सब पर उपकार,
आज याद बहुत आप आते हो
सभी तुम्हारे श्री चरणों में
श्रद्धा का पुष्प चढाते है ।

भवानंद सिंह
उ. मा. वि. मधुलता
रानीगंज, अररिया

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