सजल – सुधीर कुमार

Sudhir Kumar

सजल
मात्रा – 14
समांत – नहीं
पदांत — आरी

222 222 2

शिव की शोभा है न्यारी ।
छवि लगती कितनी प्यारी ।।

मस्तक पर चंदा चमके ।
शीतल गंगा सिर धारी ।।

ग्रीवा में विषधर लिपटा ।
हाथ त्रिशूल भयंकारी ।।

नंदी पर चढ़ते भोले ।
भक्तों के है शुभ कारी ।।

देव सभी पूजें इनको ।
शिव की महिमा है भारी ।।

शिव कल्याण सदा करते ।
है दुनिया दुख की मारी ।।

सुधीर कुमार , किशनगंज , बिहार

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