पति को विश्वास है- एस.के.पूनम

S K punam

🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏
हास्यरस(मनहरण घनाक्षरी)

कह रही धर्मपत्नी,
रहने को मौन ठानी,
ऐसी मिथ्या धरा पर,पात्र परिहास है।

संगिनी बेलन संग,
रक्षित उसका अंग,
कोई नहीं करे तंग,अस्त्र-शस्त्र खास है।

झाडू पोंछा नित्य दिन,
मक्खी करे भिन-भिन,
सफाई है छिन्न-भिन्न,उसे एहसास है।

सब्जी में तीखापन,
स्वाद में अपनापन,
बोली वाणी सुमधुर,पति को विश्वास है।

एस.के.पूनम

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