वटवृक्ष की पत्नी कहती है – नीतू रानी

वटवृक्ष की पत्नी कहती है
क्या यही है वटसावित्री का त्योहार,
जिस त्योहार में महिलाएँ करती है
दूसरों के पति से प्यार।

बार -बार महिलाएँ कर रही
बहुत बड़ा अपराध
जिसकी वो खुद स्वयं हैं
जिम्मेवार और सजावार।

देखिए वटवृक्ष भी है किसी वटवृक्षिका का पति
वो भी है अपने पति की सती,
लेकिन मनुष्य महिलाएँ अपने पति को छोड़कर पूजने आती हैं मेरे पति।

वटवृक्ष को भी है अपना परिवार
वो भी मनाते पर्व त्योहार,
उनका भी होता जन्म- मरण
वो भी करता संतान उत्पन्न।

फिर भी लोग ये क्यूँ नहीं समझते
मेरे पति को अपना पति समझते,
क्या यही है मनुष्य जाति के लिए उचित विचार
लगेगा उनको पतिव्रता का पाप।

मांँ सावित्री नहीं गई किसी वटवृक्ष के पास
सदैव रही अपने पति के आस-पास,
अपने सतीव्रता का‌ प्रमाण देते हुए
मृत पति का प्राण यमराज से लौटाकर लाई वापस।

उसी दिन से मनाया जाता है
वटसावित्री का त्योहार
जो महिलाओं के लिए बन गया खास,
अगर महिलाएंँ समझदार हैं तो
अपने पति को छोड़कर नहीं आए मेरे पति के पास।

यदि महिलाएंँ अपने पति को छोड़कर जाती है दूसरे पति के पास,
ईश्वर उसको कभी माफ न करेंगे
देंगे उस महिला को घोर नरक में वास।

मैं हूँ अपने पति वटवृक्ष की पत्नी
खूब करती हूँ अपने पति से प्यार,
मैं भी उनके लिए आज कर रही हूँ
वटसावित्री व्रत का त्योहार।

मैं भी बाजार से खरीद लाई पाँच फल और बाँस का पंखा
पूजा करुंँगी मन से आज,
हाथ से डोलाउँगी पंखा
गले मिलूँगी मैं भी पाँच बार।

आप लोग भी कीजिए
वटसावित्री त्योहार,
मन से कीजिए पति पूजा
गले मीलिए पाँच बार।

आज से यह प्रण कीजिए
कीजिए वटसावित्री त्योहार,
मेरे पति को छोड़कर
वटसावित्री पूजा कीजिए अपने पति के पास।

यही है पतिव्रता का आचरण
यही है पूजा- पाठ,
इसी से बढ़ेगी पति की आयु
इसी से बढ़ेगा सुहाग।

अगर नीरानी से कोई भूल हुई
क्षमा करेंगे आप,
जो कुछ मेरे पास था
रख दिए आप के पास।


नीतू रानी
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ बिहार।

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