श्रृष्टि की श्रृंगार करों-अभिलाषा कुमारी

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🙏🙏जय हिन्द🙏🙏
श्रृष्टि की श्रृंगार करों, सस्य श्यामला धरा से प्यार करों।
स्वतंत्र तिरंगा ध्वज के तले,जय हिन्द पुकार करों,जय हिन्द पुकार करों।‌
सार्थक हो गणतंत्र का अर्थ,वीर शहीदों की कुर्बानी,
कहीं हो ना जाए व्यर्थ।
भारत पुनः बने विश्व गुरु, ऐसा चमत्कार करों, ऐसा चमत्कार करों।।
स्वतंत्र तिरंगा ध्वज के तले, जय हिन्द पुकार करों, जय हिन्द पुकार करों।।
गंगा-यमुना की धारा, स्वच्छ अनवरत बहती रहें।
मातृभूमि की प्रेम सदा,रग-रग कण-कण में सजें।
गौरवान्वित हो सरताज हिमालय, ऐसा पग प्रयास करों, ऐसा पग प्रयास करों।।
स्वतंत्र तिरंगा ध्वज के तले, जय हिन्द पुकार करों, जय हिन्द पुकार करों।।
बांधों सर पर कफ़न ऐसा,जो तिरंगा में बदल जाएं।
सुन सरहदों पर हुंकार तेरी,काल भी थर्राए,डर जाएं।
शौर्यवान बनों वीर सपूतों, पुनः भगत- सुभाष अवतार बनों, पुनः भगत-सुभाष अवतार बनों।।
स्वतंत्र तिरंगा ध्वज के तलें,जय हिन्द पुकार करों, जय हिन्द पुकार करों।।

अभिलाषा कुमारी

Abhilasha kumari

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