आजादी की लड़ाई – संगीता कुमारी

आजादी का दिन जब-जब आता है।

मेरा मन उत्साह से भर जाता है।।

वर्षों की गुलामी के बाद आई आजादी की रात,

कहीं खुशी के दीप जले कहीं वीरों की चिताएँ जलीं,

आजादी देन है उन वीरों की, जो बिना मौत फाँसी चढ़े।

आजादी देन है उन शहीदों की, जो देश की खातिर मर मिटे।

एक माँ की गोद बचाने की खातिर,

अपनी माँ की गोद सूनी कर चले।

एक बहन की राखी का फर्ज निभाने की खातिर,

अपनी जान गवाँने चल पड़े।

भारत देश तू धन्य है, तेरी धरती पर ऐसे वीर पले।

तुझे आजाद कराने को मौत की नींद सो पड़े।

आजादी की खुशी मैं भी मनाऊँगी ।

पर पहले शहीदों की खातिर, मैं अपना शीश झुकाऊँगी।

धन्य है वह माँ जिसने ऐसे शहीदों को जन्म दिया ।

मैं भी अपनी बेटी को उसी राह पर चलाऊँगी।

देश की खातिर कुर्बानी की राह दिखाऊँगी।।

संगीता कुमारी

उत्क्रमित प्लस टू उच्च विद्यालय मलमल प्रखंड- कलुआही

जिला- मधुबनी

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