इस बार का दसहरा-गिरिधर कुमार

Giridhar

इस बार का दसहरा

मचलता है मन
उठते हैं
प्रार्थना के स्वर
चीरते हैं जैसे
कोरोना के
अंधियारे को

विश्वास का बल
आया है
सड़कों पर
चुहल बढ़ी है
हिम्मत ने
कदम बढ़ाया है

सावधान कोविड से
फिर भी
मन का बल भी
सम्बल है
रुकता है
कहाँ जीवन
यही हृदय का
भाव प्रबल है

नौनिहाल की
यह प्रार्थना
कि कब स्कूल जाएँगे
जब छुट्टी में
मम्मी पापा
उनको लेने आएँगे

शिक्षक हूँ
यह याचना
माँ मेरी तुझसे है
दूर हो सके
यह धुंधलका
आराधना का यही
स्वर है

सहज सरल हो
जीवन माँ
मनुजता का पथ
प्रशस्त हो
बुझती आशा दीपों में
शक्ति का मंगल भाव
सृजित हो।

गिरिधर कुमार संकुल समन्वयक

संकुल संसाधन केंद्र म. वि. बैरिया, अमदाबाद

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