आओ मन के रावण को मारें-भवानंद सिंह

Bhawanand

आओ मन के रावण को मारें 

हजारो रावण को जलाया गया
जला न मन का मैल,
जिस दिन मन का मैल जलेगा
उस दिन फैलेगा अमन-चैन ।

आओ मन के रावण को मारें
क्लेश-द्वेष को मन से मिटाएँ,
मानवता का पाठ पढ़ाएँ
मन को निर्मल और पवित्र बनाएँ ।

आओ मन के रावण को मारें
ईमानदारी को हथियार बनाएँ
काम, क्रोध को दूर भगाएँ ।

आओ मन के रावण को मारें
समाज में फैले जड़ता को मिटाएँ,
अज्ञान की तिमिर को दूर भगाएँ
मिलकर ज्ञान की दीपक जलाएँ ।

आओ मन के रावण को मारें
अंधेरे को दूर भगाएँ,
सबके जीवन में उजाला फैलाएँ
दीन-दुःखियों को सेवा पहुँचाएँ ।

आओ मन के रावण को मारें
नफरत को कोसों दूर भगाएँ,
सबके दिलों में प्रेम जगाएँ
सुन्दर समाज का निर्माण करें ।

आओ मन के रावण को मारें
राम के चरित्र को अपनाएँ,
असुरी शक्ति का नाश करे जो
मन में ऐसी छवि को बिठाएँ ।

भवानंद सिंह
उ. मा. वि. मधुलता
रानीगंज, अररिया

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