ज़िन्दगी-एम० एस० हुसैन “कैमूरी”

ज़िन्दगी

कितनी पाक सुहानी है
यह पल भर की जिंदगी।
इससे तुम इबरत लेकर
दूर करो मन की गंदगी ।।
कितना खुश किस्मत हैं हम
जो इंसानी शक्ल है पाई ।
अफसोस ! समझ न सके
बेकार में ही इसको गंवाई ।।
जिंदगी में आते हैं हसीन लम्हें
समझना होगा प्यारे इसे तुम्हें ।
आज वे लोग ठोकरें खा रहे हैं
जो समझ न सके हों इन्हें ।।
जिंदगी के इस हसीन लमहे को
हम मिलकर खुशनुमां बनाएं ।
इस अज़ीज़ सर ज़मीन पर ही
एक आलीशान आशियां बनाएं ।।
ये ज़िंदगी और ये हसीन लम्हे
सबको बार-बार नहीं मिलते हैं ।
भुलाकर कर रंज व ग़म सारे
आओ प्यार से हम गले मिलते हैं ।।

एम० एस० हुसैन “कैमूरी”

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