शरद पवन-मनोज कुमार दुबे

शरद पवन

यह शरद पवन मतवाली है

चहूं ओर कुहासा धुंध लिए
दिखता नही सूरज किरण लिए
अग्नि के लपटों से सटकर
जीवन की साथ बस खाली है

यह शरद पवन मतवाली है। 

सरसों पीले सब खेत हरे
जब हवा चले झूमे लहरे
इस मधुर धूप में हिल-मिलकर
धरती की छँटा निराली है

यह शरद पवन मतवाली है। 

कपड़े है उसके जीर्ण शीर्ण
ठंडक से उसका मुख विदीर्ण
जैसे तैसे दिन बीत गया
अब संध्या आने वाली है

यह शरद पवन मतवाली है। 

भीषण ठंडक में ठिठुर-ठिठुर
सोचे यह शरद बड़ा निष्ठुर
अंगुली के पोरों पर गिनता
कब गर्मी आने वाली है
यह शरद पवन मतवाली है। 

मनोज कुमार दुबे
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय भादा खुर्द
लकड़ी नबीगंज सिवान

Leave a Reply