जीवन का संघर्ष-भवानंद सिंह

Bhawanand

जीवन का संघर्ष 

बदहवास सी हो गई है जिन्दगी
गुमसुम सा रहना
तन्हाई में सिसकियाँ लेना,
लगता है ऐसे मानो
परिस्थितियों के हाथों
गुलाम सी हो गई है जिन्दगी।
कर घरों में कैद अपने आपको
सजा दी जा रही है
ये सजा मानो जिन्दगी पर
उपकार कर रही है।
मौन रहकर भी ये जिन्दगी
बहुत कुछ कह रही है
अकेले रहकर भी
परिस्थितियों से लड़ने का
इल्म सीखा रही है।
जीवन एक संघर्ष है
इसे सहर्ष स्वीकार कर
संघर्ष सीखा रही है जिन्दगी,
परीक्षा की घड़ी है ये
ये घड़ी भी निकल जाएगी
फिर आसान हो जाएगी जिन्दगी।
इस वीरान सी जिन्दगी ने
दी है, सभी को एक नई सीख
जीवन जीने का ये भी एक कला है,
अकेले रहकर जीने में भी
अलग ही एक मजा है
जिन्दगी जीता चल, प्यार लुटाता चल।
जीवन एक जंग है
इस विषम परिस्थितियों में भी
इस जंग को जीतकर
आगे बढ़ते रहना है
इस कलयुगी दरिया को
धैर्य और साहस से पार उतरना है।
देखे हैं कई बलाएँ हमने
ये बला भी टल जाएगा
जिन्दगी रफ्तार पकड़ेंगी फिर,
सबकुछ अनुकूल हो जाएगा
आदमी से भय खाता आदमी
इस पर भी विराम लग जाएगा।
ये बुरा दौर चल रहा है
संभलकर चला करो
अपनाओ सारी सावधानियाँ
निकल जाएगी सब परेशानियाँ
वक्त की नजाकत को समझो
फिर जिन्दगी आसान हो जाएगी।

भवानंद सिंह
उ. मा. वि. मधुलता
रानीगंज, अररिया

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