नौनिहाल भारत माँ के-अंजलि कुमारी

नौनिहाल भारत माँ के

नौनिहाल भारत माँ के
विद्यालय में पढ़ने आते हैं ।
बनकर पथप्रदर्शक हम शिक्षक

उनका भविष्य गढ़ने आते हैं ।।

हर वर्ग से हर समुदाय से,
संविधान के हर अध्याय से।
हम लाते हैं चुन-चुन के फूल,
हर कस्बे और निकाय से।।

लाते हैं समान धारा में,
उन्हें शिक्षा के समुन्दर में।
है एक समान हर बच्चा,
हमारे शिक्षा के मंदिर में।।

हम जनक नहीं शिक्षक तेरे,
फिर भी तुम जायो से ही प्यारे हो।
मेरे हृदय के टुकड़े हैं घर पे
यहाँ तुम आँखों के तारे
हो।।

कोई नाता है न रिश्ता है,
फिर भी मेरी परछाई तुम।
मेरे शिक्षा के साग़र को,
मापने की गहराई तुम।।

खून के रिश्ते नाते हम शिक्षक,

घर पे छोड़ के आते हैं।
कार्यस्थल के आठ घंटे को
विद्यालय परिवार बताते
हैं।।

कभी सख्त बन पीटी टीचर,
कभी विद्यालय प्रधान बन जाते हैं।
कभी डराते डॉंट डपट कर,
कभी मधुर संगीत सीखाते हैं।।

सीखते हैं बच्चे हमसे
सब अच्छा-बुरा बताते हैं।
हृदय प्रफुल्लित हो जाता है,
जब हमारा पढ़ाया,
बच्चे हमको ही समझाते हैं।।

नौनिहाल भारत माँ के,
विद्यालय में पढ़ने आते हैं।
बनकर पथ प्रदर्शक हम शिक्षक, उनका भविष्य गढ़ने आते हैं।।

ANJALI KUMARI
P. S DHARMAGATPUR
MURAUL, MUZAFFARPUR

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