गणित-बीनू मिश्रा

गणित

          कुछ बच्चे गणित को बेहद नीरस और बोर समझते हैं। अगर इसे रटकर पढ़ा जाए तो यह नीरस है और समझकर पढ़ा जाए तो सभी विषयों में आसान है। यह तो ऐसा विषय है जो परीक्षा में जीरो दिला सकता है और पूरे एक सौ भी दिला सकता है। बच्चे अगर गणित से डरेंगे तो यह और डराएगा और समझकर बनाएंगे तो यह पूर्ण नंबर दिलाएगा।

कोई मुश्किल नहीं है ये इसे आसान समझो तुम,
इसके राज हैं ऐसा, तो आज सुन लो तुम,
जो रटता है इसे वह खोता,

जो समझो इसे तो पाओ तुम,
यह ऐसा ज्ञान है जो सब पा नहीं सकता,
ये ऐसी बहार है जो हर शाख पर फूल खिला सकता,
बनाने को इसे अपना हर शख्स है आतुर,
है ऐसा यह अमृत जो बिना परिश्रम के मिल नहीं सकता,
अगर तुम तीन बातों को याद कर लो तो,
किसी इम्तिहान में नहीं है मुश्किल पास करना भी,
समझना है, लगाना है, गणन करके लिखना है,
गणित से बढ़कर कुछ और हो नहीं सकता,
तुम कहते हो कि शिक्षक मुझे खूब समझाते हैं,
फिर भी तुम नंबर कम ही उठा पाते हो,
यहां पर दो बातें हैं-

या तुम पढ़ नहीं पाते या मैं समझा नहीं पाता,
जीवन के हर क्षण में यह काम है आता,
बिना इसके पढ़ाई में फिर क्या है रह पाता,
गणित से जीवन में प्यार जोड़ कर देखो,
खुशी जीवन में आएगी,
प्यार जो घट गया इससे तो बदरी दुख की छाएगी,
गणित से जोड़कर देखो सफर मंजिल तक जाएगी,
दोस्तों को जमा करके, दुश्मन को घटाओ तुम,
अगर दुख आएगा जीवन में भाग करके इन्हें देखो तुम,
खुशी को फिर गुणा करके सफल जीवन बनाओ तुम।

हमारा यह जीवन भी बिल्कुल गणित की तरह है, जहां रोज सांसे घटती है और नए अनुभवों को जोड़ते हैं। हम सभी जीवन के कई छोटी, बड़ी और मध्यम ब्रैकेट में बंद रहते हैं और सभी अपने समीकरणों को हल करते रहते हैं। इस तरह हमारा जीवन बिल्कुल गणित की तरह ही है। हमारी सार्थकता जीवन के इस गणित के समीकरणों को हल करना है और इस तरह जीवन का अंतिम सत्य शून्य है।

बीनू मिश्रा
भागलपुर

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