गुरु-मनोज कुमार मिश्र

Manoj kumar mishra

Manoj kumar mishra

गुरु

गुरु तुम्हारे नाम की,
महिमा क्या समझाय।
समझने की समझ भी,
गुरु तुम्हीं से आय।।
गुरु बिन ज्ञान मिले नहीं,
प्रकट न होवे भाव।
गुरु ही अक्षर ज्ञान दे,
गुरु ही बदले स्वभाव।।
गुरु सिखावें योग तप,
दे दया धर्म का ज्ञान।
गुरु बिन कहो कैसे मिले,
मान और सम्मान।।
गुरु है तो उजियारा है,
दिखे सकल जहान।
गुरु बिन जग अंधियारा है,
सूझे नहीं निदान।।
मात गुरु, गुरु पिता हूए,
गुरु है सकल सुजान।
कुमार्ग से हटाए जो,
गुरुजन उसी को जान।।
गुरु से बड़ा न कोई है,
देव, देवी, भगवान।
गुरु ही तो करायेंगे,
ईश्वर की पहचान।।

मनोज कुमार मिश्र
+2 सत्येंद्र उच्च विद्यालय गंगहर
अम्बा औरंगाबाद

Leave a Reply