मेरी अभिलाषा-प्रीति

Priti

Priti

मेरी अभिलाषा 

मैं छोटा सा नन्हा बच्चा,
मेरी यह अभिलाषा है।
जल्दी से स्कूल शुरू हो,
बस छोटी सी आशा है।
याद आते हैं दिन वो सुहाने,
जाते जब हम स्कूल में पढ़ने।
जब स्कूल में घन्टी बजती,
भूल जाते हम सारी मस्ती।
चेतना सत्र के आयामों को
अच्छी तरह से पूरा करते।
फिर शुरु होती हमारी पढ़ाई,
शिक्षण होता आनंददायी।
बारी-बारी से शिक्षक आते,
सभी विषय हमको समझाते।
कभी खेल तो कभी पहाड़ा
कभी समूहों का बंटवारा।
खेल-खेल में शिक्षा पाते
दिन यूँ हीं थे बीत जाते।
आ जाती फिर अन्तिम घन्टी,
गीत संगीत क्विज़ और पेन्टिंग।
हम सब कल्पना में खो जाते,
कविता, कहानी और चित्र उकेरते।
पर यह सब हैं बीती बातें,
यही सोचकर हम घबड़ाते।
कब यह कोरोना समाप्त होगा,
कब हमारा स्कूल खुलेगा।
कब तक हम यूँ कैद रहेंगे
शिक्षा से यूं दूर रहेंगे।
लगता है अब भगवान जी भी,
देते रहते हैं हमको झांसा।
मैं छोटा सा नन्हा बच्चा,
मेरी है बस ये अभिलाषा।
जल्दी खुले स्कूल हमारा,
है बस छोटी सी यह आशा।

🌷🧘🏽‍♀️प्रीति 🧘🏽‍♀️🌷
कन्या मध्य विद्यालय मऊ

विद्यापति नगर समस्तीपुर

Leave a Reply