हे बहिना एलखिन पूर्णियाँ जिला पाठक सरकार हे स्वागत में शिक्षकगण ठार हे ना। केलखिन्ह पूर्णियाँ के स्कूल जाँच नै पकरेलैन एको स्कूल काँच हे बहिना स्कूल देख खुश भेलखिन्ह…
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Through Padyapankaj, Teachers Of Bihar give you the chance to read and understand the poems and padya of Hindi literature. In addition, you can appreciate different tastes of poetry, including veer, Prem, Raudra, Karuna, etc.
प्रेम रस घोलती – एस.के.पूनम
कलकल झरझर, बहती है निर्झरिणी, साहिल से टकराते ही लहरें बोलती। प्रवाह हो अवरुद्ध, बहती है कटकर, जीवन में यही सीख,प्रेमरस घोलती। अथाह है जल राशि, करुणामय है साथी, प्यासे…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
चंद्रयान है चाँद पर, हर्षित भारत देश। वैज्ञानिक सब धन्य हैं, देख सुखद परिवेश।। जय जय भारत देश में, जय जय है विज्ञान। चंद्रयान अभियान से, बढ़ा जगत् में मान।।…
मैं हिंदी हूँ – संजय कुमार
भारत माता की ललाट पर देदीप्यमान एक बिंदी हूँ, मैं हिंदी हूँ। भाषाओं की हूँ सिरमौर प्रसार मेरा है हर ओर हर देश मे फैली हूँ मैं बंधी हुई सब…
देश भाल की मैं बिन्दी हूँ – मनु रमण “चेतना”
सुन लो बच्चों! मैं हिन्दी हूँ, देश-भाल की मैं बिन्दी हूँ । जीवन की नव परिभाषा हूँ, अपनेपन की जिज्ञासा हूँ। बँगला, गुर्जर या सिन्धी हूँ, देश-भाल की मैं बिन्दी…
हां, नारी हूं मैं – सुमन सौरभ
हां, नारी हूं मैं ना समझो मुझे तुम अबला, ना बेचारी हूं मैं, ममतामयी खुद्दार साहसी, सम्मान की अधिकारी हूं मैं। हां, नारी हूं मैं……. संभाली हूं हर ज़िम्मेदारी, ना…
संस्कृति का हर राज – एस.के.पूनम
मेहमान यहाँ आए, भारत गरिमामय, संसार ने देख लिया संस्कृति का हर राज। अनोखा है मंडपम, संगम अतिथियों का, दिप्तमान आवारण बजते मधुर साज। पकवान सजी थाल, पहुना मोहित देख,…
G -20 सम्मेलन – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
“बीस देश” समूह का सफल आयोजन से, दुनिया ने दम देखा आधुनिक भारत का। दुनिया के नेताओं ने- चखा मेहमानबाजी, भारत मंडपम में, नवीन इमारत का। आज हमारे देश का…
कृष्ण कन्हैया – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
भक्तों की पुकार सुन धरा-धाम पर आए, देवकी के पुत्र बन मेरे कृष्ण कन्हैया। दधी भी खिलाती रोज, लोरियाँ सुनती कभी, पालना झूलती तुझे, नित्य यशोदा मैया। यमुना के तट…
कलयुगी लाल – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
बुढ़ापे की सहारा हेतु बहुत ही जतन से, संतान को बड़ा करें, लोग यहाँ पोस-पाल। जब रोजगार मिले, जीवन में कली खिले, बाहर जा बस जाता, अलग गलाता दाल। माता-पिता…